NEVER FORGET BUT TELL THE WORLD

Date: 13/06/2017

DON'T LET THE RULING "RATS & JACKALS" BURY THE DETAILS OF THE DEAD AND THE HISH TREASON THAT IS CALLED "PARTITION OF INDIA!"

In a message dated 6/14/2017 7:52:23 A.M. GMT Daylight Time, CCCCCCCC writes:
Dear Sir

Your following statement does not surprise me.

"I could never understand as to how our own Jawaharlal NEHRU ("priya neta") could "congratulate" the first Governor General of Pakistan, Mohammed Ali Jinnah, over the dead bodies of two million massacred Hindus and Sikhs, by officially recognising the bogus new borders drawn right through the States of Bengal and Punjab"

As people of the remaining un partitioned regions of India always considered these leaders as their role models and had no sympathy for our communities.
Rather they made these leaders as their role models like Fathers Uncles and so on .

Sir One of the survivor of 1947 partition had told me that consequent to cold blooded massacres of hindus dead bodies of millions of hindus were thrown into rivers especially "Ravi River"

Nehru and Jinnah went ahead with the unjustified river water agreement with Pakistan so as to maintain river flow so that the dead bodies of hindus are carried to sea and no evidence is left against the prepetrators of crime.
( Else there was no reason to deprive Punjab from it rightful share of 50 percent water)

I shall also like to share another post received by me just now

😢पहली ट्रेन पाकिस्तान से (15.8.1947)😢

अमृतसर का लाल इंटो वाला रेलवे स्टेशन अच्छा खासा शरणार्थियों कैम्प बना हुआ था!पंजाब के पाकिस्तानी हिस्से से भागकर आये हुए हज़ारों हिन्दुओ-सिखों को यहाँ से दूसरे ठिकानों पर भेजा जाता था ! वे धर्मशालाओं में, टिकट की खिड़की के पास, प्लेट फार्मों पर भीड़ लगाये अपने खोये हुए मित्रों और रिश्तेदारों को हर आने वाली गाड़ी मै खोजते थे...15 अगस्त 1947 को तीसरे पहर के बाद स्टेशन मास्टर छैनी सिंह अपनी नीली टोपी और हाथ में सधी हुई लाल झंडी का सारा रौब दिखाते हुए पागलों की तरह रोती-बिलखती भीड़ को चीरकर आगे बढे...थोड़ी ही देर में 10 डाउन,पंजाब मेल के पहुँचने पर जो द्रश्य सामने आने वाला था,उसके लिये वे पूरी तरह तैयार थे....मर्द और औरतें थर्ड क्लास के धूल से भरे पीले रंग के डिब्बों की और झपट पडेंगे और बौखलाए हुए उस भीड़ में किसी ऐसे बच्चे को खोजेंगे, जिसे भागने की जल्दी में पीछे छोड़ आये थे ! चिल्ला चिल्ला कर लोगों के नाम पुकारेंगे और व्यथा और उन्माद से विहल होकर भीड़ में एक दूसरे को ढकेलकर-रौंदकर आगे बढ़ जाने का प्रयास करेंगे ! आँखो में आँसू भरे हुए एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे तक भाग भाग कर अपने किसी खोये हुए रिश्तेदार का नाम पुकारेंगे! अपने गाँव के किसी आदमी को खोजेंगे कि शायद कोई समाचार लाया हो ! आवश्यक सामग्री के ढेर पर बैठा कोई माँ बाप से बिछडा हुआ कोई बच्चा रो रह होगा, इस भगदड़ के दौरान पैदा होने वाले किसी बच्चे को उसकी माँ इस भीड़-भाड़ के बीच अपना ढूध पिलाने की कोशिश कर रही होगी....
स्टेशन मास्टर ने प्लेट फार्म एक सिरे पर खड़े होकर लाल झंडी दिखा ट्रेन रुकवाई ....जैसे ही वह फौलादी दैत्याकार गाड़ी रुकी, छैनी सिंह ने एक विचित्र द्रश्य देखा..चार हथियार बंद सिपाही, उदास चेहरे वाले इंजन ड्राइवर के पास अपनी बंदूकें सम्भाले खड़े थे !! जब भाप की सीटी और ब्रेको के रगड़ने की कर्कश आवाज बंद हुई तो स्टेशन मास्टर को लगा की कोई बहुत बड़ी गड़बड़ है...प्लेट फार्म पर खचाखच भरी भीड़ को मानो साँप सुंघ गया हो..उनकी आँखो के सामने जो द्रश्य था उसे देखकर वह सन्नाटे में आ गये थे !
स्टेशन मास्टर छेनी सिंह आठ डिब्बों की लाहौर से आई उस गाड़ी को आँखे फाड़े घूर रहे थे! हर डिब्बे की सारी खिड़कियां खुली हुई थी, लेकिन उनमें से किसी के पास कोई चेहरा झाँकता हुआ दिखाई नहीँ दे रहा था, एक भी दरवाजा नहीँ खुला.. एक भी आदमी नीचे नहीँ उतरा,उस गाड़ी में इंसान नहीँ #भूत आये थे..स्टेशन मास्टर ने आगे बढ़कर एक झटके के साथ पहले डिब्बे के द्वार खोला और अंदर गये..एक सेकिंड में उनकी समझ में आ गया कि उस रात न.10 डाउन पंजाब मेल से एक भी शरणार्थी क्यों नही उतरा था..वह भूतों की नहीँ बल्कि #लाशों की गाड़ी थी..उनके सामने डिब्बे के फर्श पर इंसानी कटे-फटे जिस्मों का ढेर लगा हुआ था..किसी का गला कटा हुआ था.किसी की खोपडी चकनाचूर थी ! किसी की आते बाहर निकल आई थी...डिब्बों के आने जाने वाले रास्ते मे कटे हुए हाथ-टांगे और धड़ इधर उधर बिखरे पड़े थे..इंसानों के उस भयानक ढेर के बीच से छैनी सिंह को अचानक किसी की घुटी.घुटी आवाज सुनाई दी ! यह सोचकर की उनमें से शायद कोई जिन्दा बच गया हो उन्होने जोर से आवाज़ लगाई.."अमृतसर आ गया है यहाँ सब हिंदू और सिख है.पुलिस मौजूद है, डरो नहीँ"..उनके ये शब्द सुनकर कुछ मुरदे हिलने डुलने लगे..इसके बाद छैनी सिंह ने जो द्रश्य देखा वह उनके दिमाग पर एक भयानक स्वप्न की तरह हमेशा के लिये अंकित हो गया ...एक स्त्री ने अपने पास पड़ा हुआ अपने पति का 'कटा सर' उठाया और उसे अपने सीने से दबोच कर चीखें मारकर रोने लगी...उन्होंने बच्चों को अपनी मरी हुई माओ के सीने से चिपट्कर रोते बिलखते देखा..कोई मर्द लाशों के ढेर में से किसी बच्चे की लाश निकालकर उसे फटी फटी आँखों से देख रहा था..जब प्लेट फार्म पर जमा भीड़ को आभास हुआ कि हुआ क्या है तो उन्माद की लहर दौड़ गयी...स्टेशन मास्टर का सारा शरीर सुन्न पड़ गया था वह लाशों की कतारो के बीच गुजर रहा था...हर डिब्बे में यही द्रश्य था अंतिम डिब्बे तक पहुँचते पहुँचते उसे मतली होने लगी और जब वह ट्रेन से उतरा तो उसका सर चकरा रहा था उनकी नाक में मौत की बदबू बसी हुई थी और वह सोच रहे थे की रब ने यह सब कुछ होने कैसे दिया ? मुस्लिम कौम इतनी निर्दयी हो सकती है कोई सोच भी नहीँ सकता था....उन्होने पीछे मुड़कर एक बार फ़िर ट्रेन पर नज़र डाली...हत्यारों ने अपना परिचय देने के लिये अंतिम डिब्बे पर मोटे मोटे सफेद अक्षरों से लिखा था....."यह पटेल और नेहरू को हमारी ओर से आज़ादी का नज़राना है " !
तो यह है वह 'गज़वा ए हिन्द' का सच जो कांग्रेसियों व सेकुलर गिरोह ने हिन्दुओ के सामने कभी आने नही दिया..अब होश में आओ हिन्दुओं !! वरना हम व हमारा हिंदुस्तान एक दिन इतिहास में सिमट कर रहा जायेगा !!
हिंदू-सिख लाशों से भरी यह अकेली और आखिरी गाडी नहीं थी !!😢😢

(आंसू और खून)

I WISH OUR GOVERNMENT WAKES UP AND INVESTIGATE ALL INJUSTICES DONE TO OUR PREVIOUS GENERATIONS BY NEHRU AND PARTY (CONGRESS)
Best regards
CC

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Remarkable story of ISLAMIC SEPARATISM that ended in PARTITION. Viewing is highly recommended. It is the Muslims' point of view.

https://www.dawn.com/news/1338270/the-dawn-of-pakistan

https://www.dawn.com/news/1338270/the-dawn-of-pakistan
I have never understood as to how the so-called neutral, fair & secular Viceroy, Lord Louis Mountbatten, could fly to Karachi to inaugurate the breakaway rebellious & TERRORIST fundamentalist Islamic State of Pakistan on August 14, 1947.

And I could never understand as to how our own Jawaharlal NEHRU ("priya neta") could "congratulate" the first Governor General of Pakistan, Mohammed Ali Jinnah, over the dead bodies of two million massacred Hindus and Sikhs, by officially recognising the bogus new borders drawn right through the States of Bengal and Punjab, and wish him "good luck"!

And, I could never understand how MOST HINDUS were so mesmerised and charmed by JL Nehru as to hail him as the most brilliant patriotic "son of Bharat" who got us Independence!

Isn't it sad and incomprehensible that autocratic Nehru, his arrogant daughter (Musalmaani convert) Indira, and "Bofors Chor" (Master of Corruption) grandson Rajiv, are still so "honoured & cherished" across the whole of "Broken" Bharat! Just see the number of roads, schools and parks named after them! (Is Hindusthan really free & independent?)

Do we have a rational explanation for the wierd and despicable manner of "transition of power" in those macabre days in 1947 that some of us can recall vividly?

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rajput
13 Jun 17